बाइबल परमेश्वर द्वारा प्रेरित वचन है, और हरेक विश्वासी को इसका अध्ययन करना चाहिए जिससे कि परमेश्वर के दिव्य प्रावधानों की धनी और विशाल विषयवस्तु को जान सकें। जब परमेश्वर बोलता है, तो वह ऐसा अपने स्थापित वचन के माध्यम से करता है। अत:, हमें बाइबल का अध्ययन एक उचित तरीके से करना चाहिए जिससे की परमेश्वर का वचन हमारे हृदयों में बहुतायत से बस जाये। बाइबल का अध्ययन करने के लिए, हमें सबसे पहले उचित व्यक्ति होना जरूरी है, जो परमेश्वर की अगुआई और मार्गदर्शन के तले आवश्यक आत्मिक प्रशिक्षण के माध्यम से गुजरे हों। हमें सही विधियों का भी इस्तेमाल करना चाहिए। बाइबल का अध्ययन कैसे करें पर कई अच्छी पुस्तकें मुद्रित की गई हैं, परन्तु अधिकतर पुस्तकें बाइबल का अध्ययन करने की विधियों पर ही ध्यान देती हैं; वे उस व्यक्ति पर पर्याप्त ध्यान नहीं देती हैं जो बाइबल का अध्ययन करता है, यहां तक कि सही विधियों के साथ भी, हम बाइबल के अपने अध्ययन में बहुत कम ग्रहण कर सकते हैं यदि प्रभु के समक्ष हमारा व्यक्ति उचित नहीं है।
1948 और 1949 में अपने सकर्मियों को दी गई संदेशों की श्रृंखला में, वॉचमैन नी बाइबल अध्ययन करने का एक संतुलित दृष्टिकोण प्रस्तुत करते हैं। परमेश्वर के वचन में धनों को खोजने के लिए व्यवहारिक मार्गदर्शनों को प्रदान करने के अतिरिक्त, वे उस बोझ को प्रदान करने के लिए भी समय की बराबर मात्रा व्यतीत करते हैं कि वे जो बाइबल का अध्ययन करते हैं उन्हें प्रभु के समक्ष उचित व्यक्ति होना चाहिए। केवल तभी हम पवित्रशास्त्रों से प्रकाश और प्रकाशन ग्रहण कर सकते हैं।
In order to study the Bible, we first must be proper persons, having passed through the necessary spiritual training under the Lord’s leading and guiding. We must also use the right methods. Many good books have been printed on how to study the Bible, but most pay attention only to methods of studying the Bible; in How to Study the Bible Watchman Nee pays attention to the person who studies the Bible. Even with the right methods, we can receive very little in our study of the Bible if our person is not proper before the Lord.
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